26 रुपये कमाए है आपने, आप गरीब नहीं हैं ..
सुन रहा था एक गरीब रेडियो
बच्चो के हाँथ में २ रोटी दिए
कहकर कि 26 रुपये ही कमाई हुई है
बाजार में महंगाई बढ़ी हुई है
गरीब हैं हम आज इतना ही खाकर सोना है
पर समाचार आया
26 रुपये कमाने वाले गरीब नहीं
अब तो वो अमीर था
पर फिर भी खुश नहीं..
वो एक दिन बीमार पड़ा
रात में खाने के लिए कुछ लाया नहीं
कहा दवाई में खर्च हो गए पैसे
26 रुपये कमाई हुई थी आज
दवा इतनी सस्ती नहीं है..
सरकार कहती है
वो गरीब नहीं है..
बच्चो को किताबें न ले दो
चिल्लाकर कहता है वो
'जो 26 रुपये कमाकर आया है'
किताबें इतनी सस्ती नहीं है
सरकार कहती है
वो गरीब नहीं है..
कपडे तो फटे पड़े हैं
पर नए लेने की जरूरत नहीं
न ही हैसियत है, वो कहता है
कपडे इतने सस्ते नहीं है
सरकार कहती है
वो गरीब नहीं है..
घर का क्या करना
वो कहता है
'जो 26 रुपये कमाकर आया है'
फुटपाथ पे रहते हैं..
कल जमींदार आया था कहने
ये अपनी जमीं नहीं है
सरकार कहती है
वो गरीब नहीं है
त्यौहार अपने लिए नहीं बना
वो तो कलमाड़ी, राजा मानते हैं
वो कहता है
26 रुपये हैं सब आज सूखी रोटी खाते हैं
मिठाई बाजार में सस्ती नहीं है
सरकार कहती है
वो गरीब नहीं है..
वो मरा जिस दिन
घर में 26 रुपये थे
पर लाश जलाने के लिए
लकड़ी नहीं मिली
दुकानदार कहता है
लकड़ी इतनी सस्ती नहीं है
सरकार कहती है
वो गरीब नहीं है..
सरकार का कोई ये कहने वाला
जरा 1 साल 26 रुपये प्रति दिन पे रहकर देखे तो
शिक्षा, स्वास्थ्य, घर और खाने का खर्च चलाकर देखे तो
नोटों पे जिंदगी बिताने वालों को क्या पता
गरीब कौन है और कौन नहीं..
जिन्हें गरीबी की भनक भी नहीं है
वो कहते हैं एक गरीब, गरीब नहीं है..
Mast Hai bhiya...Great Poem ....nd u too..:)
जवाब देंहटाएंbahut sahiiiiii :)
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है....करेंट टॉपिक पर मन को छू जानेवाली पंक्तियां. इस कविता के लिए तुम्हारी प्रशंसा में जो भी कहूं, कम होगा. बधाई......
जवाब देंहटाएं@ all..Dhanyawad :)
जवाब देंहटाएंbahut badhiya Aman
जवाब देंहटाएंDhanyawad Amit :)
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