शनिवार, 23 अप्रैल 2011

वो परी थी..

वो परी थी..  
,
 मिला था किसी से मैं
जिसके झूमने की अदा देखती थी
फिजायें रूककर,
जिसकी खूबसूरती निहारता था
चंदा जल जल कर,
गहराई को समझने में उसके 
उलझा हर सागर,
जिसकी हँसी में खुश था
शामिल हर शय, 
जिसके गाने से चहचहाते थे
 पंछी सारे,
जिसके आँचल लहराने से 
सुकून बिखरता था, 
गम का साया भी 
पास जाने से डरता था,
सबकी दुलारी थी,
भोली भली थी, प्यारी थी.
नम आँखों में सपने जगाती थी,
वो हर खाबों में आती थी.
हवाएं उसके गालों को,
जो छूकर जाती  थी
मौज से उसके,
मीलों तक फिजा लहराती थी.
गालों पे जिसके सूरज सी लाली थी,
नटखट थी वो मतवाली थी,
नशे सा एक इत्र घोलती चलती थी,
वो इधर से उधर डोलती चलती थी ..
वो परी थी..

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

ए खुदा तेरी मौजूदगी किस काम की..

ए खुदा तेरी मौजूदगी किस काम की..

इस सादगी को लूटता है जमाना आज कल
दुष्टता दो ए खुदा,ये सादगी किस काम की.

उजाले में लोगों ने मुझे गम में देखा और हंस दिया
फिर अंधकार ही सही है, रौशनी किस काम की.

गम के आँचल में पल रही है मुहब्बत यहाँ
नफरत की इस दुनिया में, है मुहब्बत रही किस काम की.
 
दुःख मेरा अब सैलाबों सा छलक उठा है आँखों से
मौत दो मुझको खुदा अब जिंदगी किस काम की.

दुनिया के इस हालात में अपने होने का एहसास दे
इसी हालात में जीना हो तो तेरी मौजूदगी किस काम की.

 

रविवार, 17 अप्रैल 2011

मुझमे जी रही है अब भी जिंदगी..

मुझमे जी रही है अब भी जिंदगी..

दिल में शोला अब भी भड़कता है,
अब भी आँखों में जलन सी है,
सांसों में अब भी वो तपन है,
लोग कहते हैं आग लगी है कहीं.

जिदगी से रूठकर पड़ा हूँ,
उठने की हिम्मत  नहीं है,
लोग कहते हैं अब,
                                                         कितनी निश्चिंत है उसकी जिंदगी.

बातें करूँ तो क्या
चुपचाप रहता हूँ मैं,
की तेरी बातों के बिना 
कहाँ है ख़ुशी.
लोग कहते हैं
खुश है वो खुद में ही. 

जिंदगी में घुटन सी है फिर भी
मुस्कुराने की कोशिश करता हूँ,
तेरी यादों को छिपा रखा हूँ,
जैसे जिंदगी में कोई कमी नहीं
और लोग कहते हैं
उसकी यादों में कोई रहा नहीं.

तू मुझमे है अब भी,
की हर वक़्त तुझमे खोया हूँ कहीं,
तो मैं कहता हूँ
मुझमे जी रही है अब भी जिंदगी..
(You are my life and still living within me..)

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

आज पी ले इतना कि ..

आज पी ले इतना कि .. 
आज पी ले इतना कि उसकी खबर न रहे,
राहे-गम में बहता ये इश्क का जहर न रहे,
मदहोशी के आशियाँ में पनाह ले तू,
की दिल से निकले को कोई बेघर न कहे. 

 आज पी ले भूल के कि कोई था तेरा, 
कोई प्यार की भड़कती लहर न रहे, 
दिल की बातों पे लगा पाबंदियां,
की उनका आज कोई असर न रहे. 

हर आंसू को शराब की बोतल में मिला,
बहा ले चाहे तू आज जितना ,
पी जा तू इस जहर को जिंदगी समझकर,
की आये कभी आंसू फिर
तो उसमे ये जहर न रहे.

पी ले इतना कि जिंदगी फिर नयी सी लगे,
 किसी घातक लहर की दिशा उधर न रहे,
दिल को टुकड़ों में कर ले इतना,
की टूटने का फिर से कभी डर न रहे.

कि आज पी ले इतना की खुद की खबर न रहे..

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

ये दर्द कोई खोने वाला ही जाने..


ये दर्द कोई खोने वाला ही जाने.. 

फिर से वही सुबह
कुछ अलग चहल पहल के संग
हवाओं के बहाव में रुकावट
कुछ आँखों में नमी 
पंछियों के बिना सूना आसमाँ
खोयी थी कहीं जमीं
एक शांत व्यक्तित्व 
लकड़ी के छोटे कोठरे में 
निश्चिंत सोया था
बिना किसी हरकत के
बिना कोई आवाज़ किये
किसी और जहाँ में खोया था. 

लोग कहते हैं वो मितभासी था
सबका भला करता फिरता
सच्चा सन्यासी था
खुदा से न जाने क्या दुआ की
कि मौत आ गयी
अच्छे लोगों का जीवन 
आजकल ऐसा ही था..

न जाने इतनी शांति में भी
एक अलग सी हलचल थी
हवाओं को जैसे कुछ कहना था
बादलों में अलग सी रंगत थी
तभी नज़र पड़ी मेरी
उसके इकलौते बेटे पे
जो गुमसुम था, उदास था
आंखें भर गयी मेरी अचानक 
मेरा अपनी भावनाओं पे वश न रहा
ऐसा लगा जैसे
उसने मुझसे अपना दर्द कहा
गाडिओं के चक्कों की कर्कश ध्वनि से अंजान
पादरी के धीमे आवाजों से अंजान
वो एक कोने में खड़ा था
सहमा था..

अंतिम क्रिया ख़त्म हुई
फिर से कोलाहल
हवाओं में फिर से हलचल थी
पर अब भी एक कोना
उन शांत हवाओं के साथ जी रहा था
कोई गम के आंसू अब भी पी रहा था
अजब सी निराशा थी
हवाएं भी जैसे वहां गम में थी
वो अशांति भरी शांति का दर्द
कोई खोने वाला ही जाने..