शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

प्लेसमेंट का पहला दिन


प्लेसमेंट का पहला दिन

प्लेसमेंट शुरु हुए कुछ दिन हो गए,
हमने भी सोचा हम काफी सो गए,
चलो कहीं अप्लाई करते हैं,
कहीं अपना टैलेंट भी थोडा सप्लाई करते हैं,
पता किया तो लगभग सारे लोग प्लेस हो गए थे,
हमारे जैसे ही कुछ बचे थे जो सो गए थे,
हमने भी सोचा अब तो ऐश है, कंपनी तो और आएगी,
कोई है नहीं तो और किसे ले जाएगी,
दिन तक tnp का नोटिस बोर्ड हर 10 मिनट पे रिलोड किया,
तब जाके एक कंपनी में eligible below 6 cg पे cv अपलोड किया।

सुबह 7 बजे का इम्तेहान था,
मैं सुबह उठूँगा कैसे,
सोच के दिल परेशान था,
तब
मेरे मन में एकाएक जान आया,
nightout मारने का प्लान आया,
जगा सुबह और गया इम्तेहान देने,
sala 8 बजे तक कोई आया ही नहीं था लेने,
फिर 8:30 बजे से शुरु हुआ टेस्ट,
हमने खुद को बोला आल बेस्ट,
एक भी सवाल पढ़े से तो नहीं लग रहे थे,
पर सबकी हालत same देख के हम मजे से हँस रहे थे,
हनुमान जी को याद करके तुक्का भिड़ाया,
सरस्वती जी विद्या की देवी है बाद में याद आया,
टेस्ट के बाद फिर से नोटिस बोर्ड की रेलोडिंग हुई शुरु,
मन में बस तमन्ना कि पास कर दे वाहे गुरु,
50 वें बार रिलोड करने पे shortlist पाया,
मेरा भी नाम नीचे से दूसरे नंबर पे आया।

शाम 3 बजे से interview शुरु होना था,
और अब फीलिंग
रही थी कि सोना था,
किसी तरह से आंखें खुली रख के खुद को venue पे लाया था,
पर venue में कोई नहीं आया था,
मैंने सोचा अब तो अंदर जाके कुछ भी फंडे देना है,
कंपनी को कम से कम एक को तो लेना है,
अन्दर गया लोगों ने मेरा स्वागत किया,
मांगने पर मैंने सबको अपना एक cv दिया,
पहला सवाल introduction दीजिये,
हमें देखना है कि आपने कैसे खुद को परिचित किया है,
मैंने बोला क्या cv अचार डालने के लिए लिया है,
दूसरा सवाल आप इसी कंपनी में क्यों प्लेसमेंट चाहते हैं,
मैंने बोला आप ही लोग हैं जो इतनी लेट से आते हैं,
तीसरा सवाल आप अपने courses का कितना ज्ञान रखते हैं,
मैंने बोला below 6 cg से ये सवाल नहीं करते हैं,
चौथा सवाल आपकी weaknesses क्या है,
मैंने बोला गिनाऊ क्या पर सोच लो
क्या interview कल ख़तम करना है,
पाचवां सवाल आप कंपनी से क्या एक्स्पेक्ट करते हैं हनी जी,
मैंने बोला what matters is only money जी,
छठठा
सवाल एक बोला,
मैंने बोला देखो बहुत सवाल हुआ अब मुझे सोना है,
ये नाटक बंद करो मुझे यहाँ से कलटी होना है,
एक ने बोला ओके अंतिम सवाल,
हम आप को ही क्यूँ लेंगे,
मैं बोला : और कोई नहीं आया है बाहर फिर आप किसे जॉब देंगे,
उसने thank यू बोला मैं welcome बोलके बहार आया,
वेट करते हुए 5-6 लोगों को पाया,
मुझे अब जाके अपना mistake समझ आया,
कि मैं venue पे exact टाइम पे था आया।

रात
को shortlist आया,
मैं बहुत खुश हुआ जब अपना नाम नहीं पाया,
अगले दिन उससे भी अच्छा कंपनी रहा था,
मेरा मन यो-यो चिल्ला रहा था,
इससे हमें शिक्षा मिलती है कि,
टाइम पे interview देने जाया करो,
और खूब गज़ब का मचाया करो...:)
(Everything happens for a reason)

रविवार, 28 नवंबर 2010

हम तुझ पे कुरबान हो जाए...

हम तुझ पे कुरबान हो जाए...

तेरी इक हँसी पर, मेरी सौ खुशी कुरबान हो जाए,

तेरे एक झलक पे, कई हहबाब नीम जान हो जाए,

तेरे रूठने से मौसम बहार में खलिश पड़ती है जानम,

तेरे दीवानी कभी ये जमीं कभी आसमान हो जाए।


तेरी धुन में झूमे जो वो अलहान खो जाए,

तेरी शरारतों से खामोश आब, आब रवान हो जाए,

तू रोना मत कभी मेरे हबीब,

तेरे आंसुओं को देखे तो भगवन रो जाए


तेरी मस्ती से बियाबान में बरान हो जाए,

तेरी बातों से हर जहान गुलिस्तान हो जाए,

तुझे तो बस एक बार ख्वाहिश करने की जरूरत है,

तेरी ख्वाहिश से अंधेर नगरी में चिरागहान हो जाए


तुझे जाने कोई तो तू उसका अरमान हो जाए,

तू जो जाने तो तेरा एहसान हो जाए,

कहने की जरूरत नहीं,

जो तू आँखों से कह दे तो सब बयान हो जाए


तू जो देखे तो फीका चाँद भी फिरोजान हो जाए,

तेरे एक लम्स से कोई हैवान इंसान हो जाए,

मेरी जान जनान,

तेरी आवाज़ को सुन इस दर्द दिल को इत्मिनान हो जाए


तेरे साथ का हर पल जा विदान हो जाए,

तेरा साथ हो तो पत्थर रस्ते भी खियाबान हो जाए,

तेरे साथ में कोई जादू है जाना,

तेरे साथ से कोई चतुर भी नादान हो जाए


तुझपे नज़रें बुरी करे जो उसका नुकसान हो जाए,

कोई परेशान करने की धुन में खुद परेशान हो जाए,

तेरे लिए तो कितने जान दे देंगे,

तू बोले तो, खुदा भी तेरा निगाहबान हो जाए


चहुँ तेरे संग कभी रुक्सान हो जाए,

तेरा भी मेरे प्रति रुझान हो जाए,

होना ये रक्स जनान होगा जानम,

संग कभी हमारे पूरी ज़मान हो जाए


तेरी साँसों से मेरी धडकनें चलती है जानम,

तुझे पाने के लिए दांव पे अब मेरी जान हो जाए


शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

ये कैसी उदासी की लहर चली है...

ये कैसी उदासी की लहर चली है...

कहीं बिजली गिरी है, कहीं सूखा पड़ा है,
कहीं फसल उजड़ी है, कहीं सब कुछ बहा है,
जहाँ सब निश्चिंत सो रहे है,
वहीँ किसी का मन डर में लिपटा रो रहा है,
कहीं तूफ़ान ने अपना खेल खेला,
और तन्हाई में अब उस गाँव की हर गली है,
ये कैसी उदासी की लहर चली है..


जहाँ सूरज के आने के ही साथ ख़ुशी आती थी,
वहां वीरानों में अब धरती पड़ी है,
जहाँ बच्चों के हंसी में फिजा थी झूमती,
वहां खुशियों के कत्ल की खबरें जड़ी हैं,
जहाँ हवाएं फूलों के संग खेलती थी,
वहां की अब मुरझाई हर कली है,
न जाने ये कैसी उदासी की लहर चली है...


कहीं किसी नन्हे के पास आंसू के बूंद भी नहीं पीने को,
जहाँ चाँद की शीतलता में भी दुनिया जल रही है,
जहाँ हर मोड़ पे एक हंसी की उम्मीद हुआ करती थी,
वहां हर मोड़ मेरी जिंदगी पर हँस रही है,
ये किस दिशा से आई कहानी, किस शहर से आई मुसीबत है,
कोई बताओ कहाँ पे ये मुसीबत पली है ,
ये कैसी उदासी की लहर चली है...


दिल है खामोश, आँखें नम है,
दुःख की बारिश में कोई सहारा देने को न बचा,
लगता कभी अब जिंदगी से मौत ही भली है,
बस उम्मीद है इस जहाँ से बाहर निकलने के लिए,
कहीं न कहीं एक लापता उलझी गली है,
न जाने ये कैसी उदासी की लहर चली है..

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

खौफ है कि दिल के दर पे दस्तक न हो…

खौफ है कि दिल के दर पे दस्तक न हो…

दिल के दर पे जो दस्तक गयी, हमनें सहमी साँसों से कड़ी और कस दी,

खौफ था कहीं फिर से वो शरारत न हो, खौफ था कि फिर से मुहब्बत न हो.


दर पे दस्तक बनी रही, दर ओ दीवार अब सहमा था

कहीं वो ख़ुशी के प्याले में गम की आफत न हो, की कहीं फिर से वो अनजानी सी हालत न हो,

दुआओं का दौर कहीं तेज हो रहा था,

कहीं फैसले के लिए फिर तेरी अदालत न हो, कहीं फिर से मेरे जिंदगी में आकिबत हो।


कहीं कोई प्यारा न दिखे, कभी कोई मेरी अमानत न हो

यकीं है पर फिर भी खौफ है, कोई तुम सा खुबसूरत न हो।


मुसाफिरों का न पता कैसा काफिला है, कहीं फिर से मेरे खिलाफ बगावत न हो

कोई प्यार बाँटनें भी आया हो तो कह दूँ, चाहता हूँ दिल में प्यार की बरक्कत न हो।


बहुत जी लिया गम ए जिंदगी में, की फिर से उस गम की हुकूमत न हो

कहीं फिर से उसकी फैलाई दहसत न हो, फिर से उसके जुल्मों की मेरे घर कोई दावत न हो।


हर दस्तक के साथ यही दुआ है, मुझे कहीं छुपा ले जहाँ से कभी जमानत न हो,

मैं तो कड़ी खोल दूँ मगर, खौफ है कहीं इसकी भी फितरत फुरक़त न हो।


दर पे फिर से कोई हरकत न हो, हम तनहा ही खुश है अब लौट जाओ,

खौफ की कहीं मुझे खुद से नफरत न, कहीं खुद से रूठने कि नौबत न हो।


तेरी इनायत होगी खुदा, कोई दस्तक की जरूरत नहीं,

कभी पास आये और फिर, कहीं इसे भी मेरे लिए फुर्सत न हो।

तोड़ न दे मुझे इतना,

की कहीं टूटने पे फिर से कोई हैरत न हो, की फिर से उठने की हिम्मत न हो।


मुझे फिर से कोई खेल नहीं खेलना, खुदा मुझसे खेलने की किसी को इजाजत न हो

हर गम में जी लिया मैं, अब कुछ कर, की किसी को दर पे आने कि जुररत न हो।


किसी के साथ मुझे सैर पे भी नहीं जाना, खौफ की कहीं लौटने के लिए बची मोहलत न हो

जिस कोने में मैं सहमा था कहीं, उस कोने में पलती मुसीबत न हो,

कहीं राहत के लिए किसी की रहमत न हो, वो झूठी शान ओ सौकत न हो।


हर रोज़नों को बंद किया मैंने, की तेरी यादों के संग कोई अन्दर न आये

जिनसे मैं भागता हूँ, कहीं वो फिर हकीकत न हो।


मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

कभी मेरे इश्क की तुझे खबर मिले...

कभी मेरे इश्क की तुझे खबर मिले...


ख्वाबों में बसी है तू मेरे,

छुप छुप कर देखा करते हैं ,

कभी तू देख मुस्कुराएगी,

ऐसा हम सोचा करते हैं,

आँखें सोचे कभी नज़र मिले,

चाहूँ मेरे इश्क की तुझे कभी खबर मिले।


कहने से ये हम डरते हैं,

चंदा से बातें करते हैं,

उन चंचल पवनों की लहरों में ,

तुझको हम छेड़ा करते हैं,

मन तरसे तुझ सा हमसफ़र मिले,

मेरे इश्क की तुझे खबर मिले।


भाव भरे चंचल मन से,

तेरे धुन पे गया करते हैं,

तेरे पीछे छुप छुप कर हम,

तेरे घर तक जाया करते हैं।


जुल्फें जो चूमे हवाओं को,

जो तेरे गालो को छुकर आती हैं,

तेरे बारे में सब कुछ हम,

उन लहरों से पूछा करते हैं।


तुझको यादों में लाकर हम,

पागल हो जाया करते हैं,

कभी खुद में खोया करते हैं,

कभी खुद से बातें करते हैं।


घायल करती आँखें तेरी,

जैसे हों उनमे जहर मिले,

चाहूँ मैं तो बस इतना ही,

कभी मेरे इश्क की तुझे खबर मिले.