जिन्होंने देश की आजादी लड़ी
उन्हें आजाद कराना भूल गए
पुरानी हटा, नयी जंजीरें लगा दी
जंजीर हटाना भूल गए.
गाँधी ने देखे थे सपने
लोगों ने जान लगायी थी
अंग्रेजों को भगा दिया पर
सपनों को हकीकत बनाना भूल गए.
भूखा अब भी भूखा है
घर बार नहीं है कितनों के
कुछ को देश ने महल दिया
कुछ की कुटिया बनाना भूल गए.
कई बांध बने, कई कारखाने
कितनों को बिजली और आराम दिया
पर जमीनों से जिन्हें बेदखल किया
उनकी टूटी जिंदगी सजाना भूल गए.
धनी तो संमृद्ध हुए
हम दलितों को सम्मान दिलाना भूल गए
बलात्कार और मौत के किस्से बेहिसाब हैं
लोगों को बेहतर जिंदगी दिलाना भूल गए.
कई अस्पताल बने, कई स्कूल बने
पर बिन पैसो के कोई कहाँ
बड़े अस्पताल या स्कूल में जा पाता है
स्वास्थ्य और शिक्षा को सही दिशा दिखाना भूल गए.
भटकता रहा देश रास्तों में कई
और हम असली ठिकाना भूल गए
भारत के नागरिक तो बने हम
पर नागरिकता निभाना भूल गए.
शांति की बातें होती थी कभी
पर हम प्रेम बढ़ाना भूल गए
अब हम तो पैसे बनाने में लगे है
हम रिश्ते बनाना भूल गए.
भ्रष्टाचार से लिप्त है राजनीति
कई रावण आये और गए
रामराज्य की बातें की हमनें
पर राम बनाना भूल गए..
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई
भाई न बन पाए यहाँ
धर्म को आँखें बंद कर देखा
दूसरों का सम्मान किये बिना
टुकड़ों में जीते जीते
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