शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

कैसे कोई फिर प्यार करेगा..

कैसे कोई फिर प्यार करेगा..


प्रेम रस से दूर ह्रदय रख
सोचा हमने जग बदलेगा
दूरी जो बढती जाएगी
कब तक तुझको प्यार करेगा..

जख्मों पे मरहम ले बैठा
यादों को समझाया मैंने 
छलनी काया भी बदलेगी  
कब तक तू मुझ पर वार करेगा..

चंदा बातें अब न करता
तारों को बादल ने घेरा 
नयी राह, नया माहौल, सोचा
नया जीवन संचार करेगा..

ऋतू पतझड़ की बीत यहाँ
बहार कभी आएगी
ये टूटा हुआ मुरझाया चेहरा  
खुद को फिर तैयार करेगा..

बीच सागर में डूब रहा मन
उठती लहरें बढती धड़कन 
साथ दुआओं के बैठा हूँ
नैया कब सागर पार करेगा..

जाम लिए हाथों में सोचूं
पीकर कोई क्या बदलेगा
जीवन तो देखूं बदलते
ये क्षण भर को अंधकार करेगा..

रातों भर जलना और बुझना 
ख़ामोशी में बातें करना
खुद, खुद से अलग है इस कदर 
क्या कोई दीवार करेगा.. 

डरता है मन 
मरने से हर दिन
तड़प, जो दे ऐसी आजदी
क्या कोई कारागार करेगा..

अंजाम अगर कुछ ऐसा हो तो 
कैसे कोई फिर प्यार करेगा..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें