बुधवार, 9 मार्च 2011

इंतज़ार है अब भी ..

इंतज़ार  है अब भी ..
 
कभी जिंदगी पे हंसा मैं,
जिंदगी कभी मुझपे हंसी,
कितने हालतों से निकली,
कितने मोड़ों पे फंसी,
हर वक़्त तेरा चेहरा
दिल में लिए बढ़ता रहा,
करीब था मंजिल के 
तब कोहरा घना था,
दूर पे एक छवी थी,
धुंदली सी,
आँखों से ओझल होती
जिंदगी सी,
हवाएं शांत
सही वक़्त के इंतज़ार में,
वो घडी बेचैन थी,
वक़्त थम सा गया,
वो पल 
मुझमे मरहम सा गया,
आँखें नम थी मेरी, 
ख़ुशी का ठिकाना न रहा,
तू जीत गया
हवाओं ने मुझसे कहा,
हम धीमे से पास गए उनके,
हर पल बड़ा अजीब था,
आवाज़ लगाई उन्हें,
पर कोई जवाब न मिला,
और पास गया, मैं जब करीब था
धीमे से कंधे पे हाँथ रखा,
 वो मुड रही थी ,
धड़कन में कम्पन थी,
न जाने क्यूँ
सांसों में एक सरगम थी,
पर ये क्या
वो तो कोई और था वहां,
किसी और के इंतज़ार में,
मैं टूट रहा था,
हर सपना बिखरा सा लगा,
आँखें फिर से नम थी,
मैं खुद से जुदा सा लगा,
आसमान से पूछता मैं,
जवाब दे
मंजिल बदली है,
या वो आई ही नहीं है,
मेरी हालत देख उसने कहा
कोई अभी लौटा है,
मैंने पुछा
उसके जाने की दिशा क्या है,
फिर से एक आशा लिए 
मैं जी जान से भागा,
शायद कहीं वो मिल जाये,
फिर किसी जगह,
दूर में फिर से एक छवि थी,
वही एहसास फिर से 
वही जूनून आया,
मैं पास गया
और आवाज़ लगाया,
वो मुड़ी
पर वो मेरी जाँ नहीं थी,
पर उसने संदेशा सुनाया 
उसने कहा
तेरी जाँ का अब कहीं और ठिकाना है
तू लौट जा, तूने देर कर दी
अब उसे किसी और के साथ जाना है
बस मैं थोड़े ही देर से था,
क्या थोडा और इंतज़ार न हुआ,
इतना लड़ा मैं सबसे
सब बेकार न हुआ,
ढूढता हूँ उसे आज भी,
इंतज़ार है उसका,
क्या करूँ मैं
फिर किसी और से प्यार न हुआ..
:(

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