रविवार, 19 फ़रवरी 2012

कुछ पंक्तियाँ..


कुछ पंक्तियाँ..

"कुछ शब्द शब्दों में बयां नहीं होते 'अमन' ,
आँखों की भाषा सीख ले फिर मुहब्बत करना.."

"तेरे आने से फिर से वही खौफ है मुझमे 
तू पत्थर है फिर से ये शीशा तोड़ जायेगा.."

"सौदा किया था और का, मुझे हलाल कर गयी
जो चाकुओं से होते हैं, वो तेरी चाल कर गयी 
कर गयी सुर्ख जिंदगी, तू क्या बवाल कर गयी
तड़प तड़प के कह रहे हैं की तू कमाल कर गयी.."

"रस्ते पे जानबूझकर गुजरा करता था उसके सामने से
लगने लगा था यूँ कि आवारा समझती होगी मुझे..

आज पता चला है की वो मुझे पहचानती तक नहीं.."


"Valentine का चढ़ा बुखार बेकार..

लड़का खुश था, बोला मांगो मांगना है क्या 
लड़की शरमाई, मुस्काई और बोली
दोगे जो मांगूंगी, अच्छे से सोच लिया 
वो भी मुस्काया, कुछ समझ न पाया
बोला मांग के देखो, जो माँगा समझो वो दिया
वो खुश थी बड़ी, और हँसते हुए कहा
शाले कल से मुझे अपनी शकल मत दिखा :( :)"

"उस रिश्ते को खुदा समझा था हमनें
खुदा तो है अब भी पर खुदाई न रही
उन रिश्तों को सांसें समझते थे हम 
सांसें हैं उनमे अब भी पर जिंदगी न रही.."

"ये जमाना लैला का नहीं रहा दोस्त 
फिर तू मजनू बना क्यूँ फिरता है.."

"कुछ दर्द दिल में अब तक बसा है
लगता है जैसे मेरा ही आइना है..
बता क्या करूँ आग का जो जल रहा है 
रूह मेरा ये खेल चुपचाप देखता है.."

"इन खुशियों के दरारों में कुछ इस तरह गम छिपाए हैं
शक होता है हंसी पर कभी कभी की हम गम में मुस्कराएं हैं.."

"वो डॉक्टर दोस्त दवाइयां लेकर आ गया दर्द की
उसे पता नहीं की कुछ दर्द भी ला इलाज़ होते है.."

"हम अश्कों से अपना दर्द बयां कर देते 
पर इन सुर्ख आँखों में आंसू आये कैसे
कुछ गुत्थियों में उलझा हूँ, सुलझे तो कहूँ 
बिना सुलझाये इन्हें हम जश्न मनाये कैसे.."

"सफ़ेद कपड़ों पे मुहब्बत के भाव लिख रहे हैं हम 
की मौत पे इनके इन्हें कफ़न की कमी महसूस न हो.."

"आग तो अब लगी है महफ़िल में मेरे
कल तक बस जलन थी, अब धुआं उठ रहा है.."

"वो पूछता है बता मन में तेरे हैं क्या
पर शायद हर बात बताई नहीं जाती..
कुछ समझ जाये तो समझे वो 
यूँ हर बात समझाई नहीं जाती.."

"वक़्त को शिकवा है मुझसे, मैं भी वक़्त से खफा हूँ..
इन रास्तों में ही जीती है जिंदगी, ये भी मैं जनता हूँ.."

"मुसाफिर थोडा और सफ़र कर मंजिल नजदीक है
वो न मिली तो क्या मौत को गले लगा लेना.."

"मालूम चला तेरी वादियों में फूल मुहब्बत के खिलते हैं
वो बताना भूल गया की काँटों से हिफाज़त होती है उनकी.."

"तेरे महफ़िल में मजा तो बहुत है मगर
सोचा है कभी कितने लुट जाते हैं यहाँ हर दिन.."

"अपने हुस्न को संभाल के रखो रानी
यहाँ लूटने वाले भी लूटे जाते हैं.."

"दिल के दरवाजे पे पहरा क्या देना ,   
मुहब्बत पूछकर अन्दर नहीं आती.."

"जो वो रात के सन्नाटे में खो गया कहीं
रोया नहीं जानता था अब सवेरा होने की बारी है.."


"यूँ तो बाहर से वो बड़ी नाजुक सी लगी 
पत्थर पे खुदा ने मखमल चढ़ा रखी थी.."

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