शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

कुछ पंक्तियाँ..

कुछ पंक्तियाँ..

"ये गहने दुकानों की सेजों पर कितने खुबसूरत थे, 
तूने जो पहना, तेरी खूबसूरती के आगे फीके पड़ गए हैं.."

"पुछा मैंने ए जिंदगी इस मुहब्बत में रखा क्या है 
कहा जिंदगी ने, सोच तेरे मुस्कराने की वजह क्या है.."

"मन जो बातें तेरी करता है 
कहता हूँ मैं रुक जा तू
क्यूँ मुझको हर बार रुला देता है
क्यूँ खुद, खुद को भुला देता है.."


"जिंदगी तो बस तेरी आंखों में देखी है हमनें 
दूर न जा ए सनम की इन साँसों का क्या करूँगा मैं.."

"तेरे हुस्न की खबर तो उन वादियों को भी है,
जहाँ सूरज की किरणों, हवाओं का आना जाना नहीं..
वो भी चिंता करते हैं तेरी खुशियों की
जिनका अपना कोई ठिकाना नहीं..
तू आ गिरी है किसी और ही दुनिया में जानम
ये परीयों की दुनिया नहीं, ये तेरा जमाना नहीं.."


3 टिप्‍पणियां:

  1. "जिंदगी तो बस तेरी आंखों में देखी है हमनें
    दूर न जा ए सनम की इन साँसों का क्या करूँगा मैं.."

    ...बहुत खूब! सुंदर प्रस्तुति..

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