मंगलवार, 2 अगस्त 2011

किसको क्या बतलाऊँ मैं ..

किसको क्या बतलाऊँ मैं ..

इन कागज के पन्नों पर कितना दर्द लिखूं
इस कलम को क्या क्या बताऊँ मैं
दिल में अरमा कई हैं, है ये प्यार से भरा,
लिख लिख कर कितना जताऊँ मैं..

इस चाँद से कितनी बातें करूँ
इन हवाओं को क्या क्या समझाऊँ मैं
खुद के टुकड़े टुकड़े हो रहे हैं
पर हर पल कितना आंसू बहाऊँ मैं..

कभी सोचूं कभी रोकूँ खुद को
कभी तुझको पास लाऊँ मैं
सपनों का क्या करूँ 
निद्रा को कैसे समझाऊं मैं..

यहाँ तो लोग कई हैं चारों तरफ  
रोने को कहाँ जाऊं मैं
तेरी यादों की तड़प में डूब गया है दिल
अब कितना मुस्कुराऊँ मैं..

किसको क्या बतलाऊँ मैं..

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