सोमवार, 11 अप्रैल 2011

आज पी ले इतना कि ..

आज पी ले इतना कि .. 
आज पी ले इतना कि उसकी खबर न रहे,
राहे-गम में बहता ये इश्क का जहर न रहे,
मदहोशी के आशियाँ में पनाह ले तू,
की दिल से निकले को कोई बेघर न कहे. 

 आज पी ले भूल के कि कोई था तेरा, 
कोई प्यार की भड़कती लहर न रहे, 
दिल की बातों पे लगा पाबंदियां,
की उनका आज कोई असर न रहे. 

हर आंसू को शराब की बोतल में मिला,
बहा ले चाहे तू आज जितना ,
पी जा तू इस जहर को जिंदगी समझकर,
की आये कभी आंसू फिर
तो उसमे ये जहर न रहे.

पी ले इतना कि जिंदगी फिर नयी सी लगे,
 किसी घातक लहर की दिशा उधर न रहे,
दिल को टुकड़ों में कर ले इतना,
की टूटने का फिर से कभी डर न रहे.

कि आज पी ले इतना की खुद की खबर न रहे..

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