शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

वो वक़्त अब भी जवां है...

वो वक़्त अब भी जवां है...

वो
मस्त हवा, फिक्र - मंद जिंदगानी,

वो मस्त मौसम, वो बारिश का पानी,

वो साथ तेरा हाँथों में हाँथ लिए,

वो मस्त आवारगी,मदमस्त जवानी।


वो दीदार तेरा, तेरी वो बातें,

वो दिन, साथ बीती वो रातें,

वो प्यार भरी नज़रें,

वो बिछड़ना और वो मुलाकातें।


वो तेरा मेरे सर को सहलाना,

वो तेरा हँसाना और रुलाना,

वो तेरा कभी रूठ जाना,

वो मेरा तुझको प्यार से मनाना।


वो तेरा गुस्सा, तेरी बचकाना हरकत,

वो कभी तेरी शान सौकत,

वो शर्मना वो सजना संवरना,

वो तेरी नवरस नजाकत।


वो तेरा मुझको चूमना,

वो तेरा मस्ती में झूमना,

वो कभी लहराना, कभी शांत,

वो तेरा हवाओं के संग घूमना।


वो तेरे लम्स, वो तेरा एहसास,

वो तेरे मुहब्बत की प्यास,

वो कभी तेरा मुझसे छिप जाना,

वो कभी तेरी तलाश।


वो वक़्त मुझे अब जिंदगी देता है,

वो वक़्त अब कहाँ है,

वक़्त कितना भी गुजरा हो,

तू साथ अब हो हो,
वो वक़्त अब भी जवां है।

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