शनिवार, 10 मार्च 2012

कुछ पंक्तियाँ..

कुछ पंक्तियाँ..

"ख़ुशी तेरे चेहरे पे आती
खिलखिलाती, मुस्काती
गम है असमंजस में 
चाहता है तेरे संग होना
पर देख नहीं सकता तेरी उदासी..

हवा जो तेरे गलों को छूती
झूमती डोलती
आँखों के आंसू है असमंजस में
चाहते हैं तेरे गलों से होकर जाना
पर दे नहीं सकते तड़प जरा सी.."


"मौन बैठा रहा उफनती प्रेम लहरों को देख कर भी
थोडा समझा होता तो आज डूब नहीं रहा होता.."

"खबर है कल इक शहर में आग लगी है,
तो गाँव छोड़कर उस शहर को निकले थे आप.."

"वो खुद को खुदा कहता है,
पर अब तक छुपा बैठा है.."

"हमें जीने की सजा मिली है
जुर्म, की हमनें मुहब्बत की थी.."

"सोचा था मुहब्बत ही है, सब संभल लूँगा मैं
अब मुझे सँभालने के लिए यहाँ कोई नहीं.."

"न कहो की ऐसी दुनिया क्यूँ खुदा ने बनायीं है
ये जो हालात हैं बदतर, हम सब की निशानी है.."

"आजादी के बाद हम जश्न मन रहे थे
उस महफ़िल में तुझे देखा फिर,

अब आजादी की लड़ाई फिर लड़ रहे हैं.."

"रब से मखमली की तमन्ना ही किसे है
ये पत्थर भी दे दे वो तो मेहरबानी हो.."

"राहों में पत्थरों की बौछार कर मौला,
आगे मुहब्बत है मुझे तैयार कर मौला.."


"आये थे गाँव से शहर सोचकर, अलग जिंदगी होगी
अलग तो है सब कुछ यहाँ, पर  जिंदगी नहीं.."