वो तूफानी रात..
बारिश तेज थी ,
घना अँधेरा था,
हवाओं में दहशत था,
बादलों ने घेरा था,
पत्तों की सरसराहट में
एक दुष्टता का अंदेशा था,
मैं एक कोने में पड़ा था,
सहमा था।
दूर में कोई कर्कश सी ध्वनि
दिल की धड़कन को बढाती थी,
जैसे कोई अदृश्य
इक कोने में खड़ा था,
झरोखों से आती हवा
पंखों से बातें कर रही थी,
पड़ोस के घर में
कोई बच्चा रो रहा था,
मैं माँ का चेहरा
मन में लिए बैठा था,
हर कुछ पल पे सोचता था,
क्यूँ मैं आज घर में अकेला था।
बिजली की चमक में
आंखें चौंध सी गयी,
गर्जन ने कानों के जरिये
दिल में हरकत की,
बारिश की बूंदों में
न वो शीतलता थी, न सुकूँ,
माँ का इंतज़ार था,
मन सोचता कहाँ सवेरा था,
कि मैं डरा था सहमा था अकेला था...
घना अँधेरा था,
हवाओं में दहशत था,
बादलों ने घेरा था,
पत्तों की सरसराहट में
एक दुष्टता का अंदेशा था,
मैं एक कोने में पड़ा था,
सहमा था।
दूर में कोई कर्कश सी ध्वनि
दिल की धड़कन को बढाती थी,
जैसे कोई अदृश्य
इक कोने में खड़ा था,
झरोखों से आती हवा
पंखों से बातें कर रही थी,
पड़ोस के घर में
कोई बच्चा रो रहा था,
मैं माँ का चेहरा
मन में लिए बैठा था,
हर कुछ पल पे सोचता था,
क्यूँ मैं आज घर में अकेला था।
बिजली की चमक में
आंखें चौंध सी गयी,
गर्जन ने कानों के जरिये
दिल में हरकत की,
बारिश की बूंदों में
न वो शीतलता थी, न सुकूँ,
माँ का इंतज़ार था,
मन सोचता कहाँ सवेरा था,
कि मैं डरा था सहमा था अकेला था...
bahut khooob
जवाब देंहटाएंThanks Somyaroup..:)
जवाब देंहटाएंBest Wishes...
जवाब देंहटाएंReagards
Chandar Meher
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
angrezikiclass.blogspot.com
इतनी ख़ूबसूरती से बयां किया है भावनाओं कों की आँखों के आगे चित्र सा खिंच गया।
जवाब देंहटाएंawesome.... bohot hi acchi kavita..... loved it :)
जवाब देंहटाएंdhanyawad chandan, divya ji n pankh...aapke comments mere liye kafi protsahan dene wale hain...dhanyawad..
जवाब देंहटाएं"कोई बच्चा रो रहा था,
जवाब देंहटाएंमैं माँ का चेहरा
मन में लिए बैठा था"
bahut sundar rachna
aapka lekhan pasand aaya
likhte rahiye
aabhaar
Dhanyawad creative manch and anand
जवाब देंहटाएं@anand : main sanskrit samajh sakta hun par likh nahi sakta..:)
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत,
जवाब देंहटाएंउत्तरप्रदेश ब्लोगेर असोसिएसन
{uttarpradeshblogerassociation.blogspot.com} ब्लोगेरो की एक बड़ी संस्था बन रही है. आप इसके प्रशंसक बनकर हमारा उत्साह वर्धन करें. ब्लॉग पर पहुँचाने के लिए यहाँ क्लीक करें. इस सामुदायिक चिट्ठे पर लेखक बनने के लिए अपना मेल आईडी इस पते पर भेंजे, indianbloger@gamil.com , इसके बाद आपको एक निमंत्रण मिलेगा और उसे स्वीकार करते ही आप इसके लेखक बन जायेंगे.
साथ ही पूर्वांचल प्रेस क्लब[ poorvanchalpressclub.blogspot.com] से जुड़े इसके समर्थक बने, और अपने क्षेत्र की मीडिया से सम्बंधित पोस्ट हमें editor.bhadohinews @gamil.com पर या editor.bhadohinews.harish @blogger.com भेंजे
Thanks Patali n harish ji..:)
जवाब देंहटाएंइस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|
जवाब देंहटाएंअनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -
वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!
शुभाकॉंक्षी|
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
blog padhne, sarahne aur in sab baaton ke liye bahut bahut dhanyawad purusottam ji..
जवाब देंहटाएंaapki likhi lines hamein achi lagi..:)
aaplogon k protsahan se hi maine blog me likha ab suru kiya hai..asha hai aap hindi ko aur hamari bhawnaon ko hamesha sahi raah denge..
dhanyawad..
@Amanji Bahut Uttam. Hamari aapse prarthana hai ki aap isi tarah Hindi ki sewa karte rahiye.
जवाब देंहटाएंaman bhai alfaaz nahi hai aapki likhawat ki taarif ke liye ... but carry on :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । कृपया जहाँ भी आप ब्लाग फालो करें वहाँ एक टिप्पणी अवश्य छोडें जिससे दूसरों को आप तक पहुँच पाना आसान रहे । धन्यवाद सहित...
http://najariya.blogspot.com/
dhanyawad ritesh, saurabh n sushil ji..:)
जवाब देंहटाएंहाँ माँ के बिना तो डर ही लगता है..... प्यारी कविता लिखी आपने.....
जवाब देंहटाएंnice one yaar but dont forget wt i said......
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