उसे पता नहीं की कुछ दर्द भी ला इलाज़ होते है.."
"हम अश्कों से अपना दर्द बयां कर देते
पर इन सुर्ख आँखों में आंसू आये कैसे
कुछ गुत्थियों में उलझा हूँ, सुलझे तो कहूँ
बिना सुलझाये इन्हें हम जश्न मनाये कैसे.."
"सफ़ेद कपड़ों पे मुहब्बत के भाव लिख रहे हैं हम
की मौत पे इनके इन्हें कफ़न की कमी महसूस न हो.."
"आग तो अब लगी है महफ़िल में मेरे
कल तक बस जलन थी, अब धुआं उठ रहा है.."
"वो पूछता है बता मन में तेरे हैं क्या
पर शायद हर बात बताई नहीं जाती..
कुछ समझ जाये तो समझे वो
यूँ हर बात समझाई नहीं जाती.."
"वक़्त को शिकवा है मुझसे, मैं भी वक़्त से खफा हूँ..
इन रास्तों में ही जीती है जिंदगी, ये भी मैं जनता हूँ.."
"मुसाफिर थोडा और सफ़र कर मंजिल नजदीक है
वो न मिली तो क्या मौत को गले लगा लेना.."
"मालूम चला तेरी वादियों में फूल मुहब्बत के खिलते हैं
वो बताना भूल गया की काँटों से हिफाज़त होती है उनकी.."
"तेरे महफ़िल में मजा तो बहुत है मगर
सोचा है कभी कितने लुट जाते हैं यहाँ हर दिन.."
"अपने हुस्न को संभाल के रखो रानी
यहाँ लूटने वाले भी लूटे जाते हैं.."
"दिल के दरवाजे पे पहरा क्या देना ,
मुहब्बत पूछकर अन्दर नहीं आती.."
"जो वो रात के सन्नाटे में खो गया कहीं
रोया नहीं जानता था अब सवेरा होने की बारी है.."
"यूँ तो बाहर से वो बड़ी नाजुक सी लगी
पत्थर पे खुदा ने मखमल चढ़ा रखी थी.."