वो दूर तो गया पर जिंदगी से जाना भूल गया ..
आंसुओं से लिखे पन्नों के संग
रैन जलते हैं मेरे,
कोई दूर गया पर
अपना प्यार ले जाना भूल गया.
वो कहता है कि हँसता हूँ मैं ,
उसके जाने का असर कहाँ है
मेरी हंसी में गूंजते गम को देखे तो
की कोई कैसे मुस्कराना भूल गया.
टूटते बिखरते
गिरते संभलते
सपनों के टुकड़े चुनते
मैं नए सपने बनाना भूल गया .
कोई दूर गया पर
सपने ले जाना भूल गया.
बातों ही बातों में
कई जवाब अधूरे ही रह गए
उनको ढूंढने में भटका हूँ मैं
वो सारे सवाल ले जाना भूल गया.
वो दिन अब भी
हर पल जीते हैं यहाँ
वो दूर तो गया
पर जिंदगी से जाना भूल गया
वो यादों से जाना भूल गया..
न आंसू बचे, न पन्ने, पर
न कहो कि मैं वो जमाना भूल गया..
वो दूर गया मुझसे
पर खुद को ले जाना भूल गया..
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंdhanyawad udan ji..:)
जवाब देंहटाएंaapke protshahan ki jaroorat hamesha rahegi..
it keeps me going :)
machaye ho dada phir se :)
जवाब देंहटाएंवो दूर गया मुझसे
जवाब देंहटाएंपर खुद को ले जाना भूल गया.. Really beautiful lines........
Your writing is really impressive
@protik..dhanyawad rahega bhai.:)
जवाब देंहटाएं@siddhartha ji..its really nice too hear these comments from you..Thanks :)