सोमवार, 20 जून 2011

सोचूं अब तुझको भुलाया जाये ..

सोचूं अब तुझको भुलाया जाये ..

बातों ही बातों में बात न बढाया जाये 
हर रोज सोचूं तुम्हे आज भुलाया जाये 
हर कोशिश कर ली मैंने अब तक
न जाने कैसे इस दिल को समझाया जाये 
काँच के ख़ाब टूटे और बिखर गए 
अब उम्मीदों के महल को गिराया जाये
की सोचूं अब तुम्हे भुलाया जाये ..

भटक चूका हूँ बहुत
न तू मिले न तेरा ठिकाना आये 
उलझनों में उलझा हूँ मैं 
की अब खुद को बाहर निकाला जाये
जिंदगी को कुछ संभाला जाये.. 

बस सोचता हूँ पर चाहता ही नहीं
की तू कभी कहीं मुझसे दूर जाये 
वो तो आंसू है मेरे, दर्द मेरे 
वरना कौन चाहे की खुद के पन्नों से
अपनी जिंदगी को मिटाया जाये ..
कौन चाहे तुझ सी परी को भुलाया जाये ..

शनिवार, 18 जून 2011

कुछ पंक्तियाँ..

कुछ पंक्तियाँ..



"गली में वीरानियों से मैं गुजर रहा था,
दिल चुपके चुपके तेरी बातें कर रहा था,
वो दिन याद आये वो सपने याद आये और 
जिंदगी कांच के खाबों को टुकड़ों में बदल रहा था."

" तू है तभी तो हूँ मैं दीवाना 
तेरी तरह कोई हसीं कहाँ है,
तेरी हँसी से है ये जिंदगी,
तेरे बिना जिंदगी कहाँ है."

"कुछ पथ्थरों से ताजमहल बनते हैं
कुछ आशिकों पे उठते हैं और गजल बनते हैं"

" अब जो तन्हाई से मुहब्बत की
तन्हाई भी सताने लगी
चुपके से तेरी मुहब्बत को
फिर से पास लाने लगी "

" कुछ रोज पहले तेरी यादों में मेरा आना जाना था
दरवाजे बंद करके तू कहता है कि मैं भूल गया तुझको."