सोमवार, 5 दिसंबर 2011

कुछ पंक्तियाँ..

कुछ पंक्तियाँ..

"अपने हुस्न को जो तुमने हया के आँचल में ढक रखा है
तेरी खूबसूरती का असर यूँ कहीं ज्यादा गहरा है.."

"आज आइना मुझसे मेरा परिचय पूछ रहा था
कल तक देखता था जो मुझको, खुद में

आज वो ही पहचानने से इनकार करता है.."

"तूने आंसू बहाए हैं जितने मैंने कहाँ बहाए होंगे
पर तेरे हर आंसू पे मेरा लहू बहता था.."

"जनाब उनकी गोद में कुत्ते को देख देखकर
मोहल्ले के लड़के अपनी किस्मत पे रोते हैं.."



"यूँ तो बहौत दीवाने (लफंगे) तेरी गलियों से होकर गुजरे
तेरे दिल के दरवाजे तक पहुँचने वालों में तो हम है..
(यानि हम भी कभी लफंगे हुआ करते थे :) )"

"खुद की आँखों में धुल झोंक कर 
खुद को अलग दुनिया दिखाते रहे
जहन को हर वक़्त पता था
ये खेल महंगा पड़ेगा मुझे..
"अब तो मैंने खो दिया तुझे.." "

"तेरे लिए ये बस बहता खून का कतरा होगा
मेरे लिए तो ये तुझे भुलाने की कोशिश है

जो हर कतरे में आ बसा है.."


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